J.N.U me दीपिका की कुछ तस्वीरें और कुछ मीम..

ये जेएनयू में खड़ी दीपिका की तस्वीर है.. 

कुछ मीम्स वाइरल हो रहे हैं। किसी इंटरव्यू में निजी जीवन पर उसने कुछ कहा है, जिसका आनंद लिया जा रहा है। 
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अग्रेंजी में शब्द होता है - कैरेक्टर

उर्दू में किरदार, हिंदी में चरित्र चित्रण कहते है। जिन्होंने हिंदी थोड़ी बहुत पढ़ी है, यह सवाल भी पढ़ा होगा- 

अलगू चौधरी का चरित्र चित्रण कीजिए। दीर्घ उत्तरीय प्रश्न होता था, तो 5 या दस नम्बर का सवाल होता। 

इसका उत्तर में,आपको विचार करना होता मुंशी प्रेमचंद की मशहूर कहानी "पंच परमेश्वर" में पंच की कुर्सी पर बैठकर अलगू क्या फैसला देता है? 

क्या वह जुम्मन शेख से निजी दुश्मनी, दोस्ती से प्रभावित होकर फैसला देता है। या वो अपने गुरुतर सामाजिक दायित्व, अपने पंच परमेश्वर की कुर्सी की लाज रखता है? यह प्रश्न निश्चय ही अलगू चौधरी के यौन व्यवहार, उसके सम्बधों की निजी विवेचना नही मांगता। 

कहानी में अलगू अपनी जिम्मेदारी को महसूस कर न्याय करता है। उचित फैसला लेता है। हम लिखते है कि उसका चरित्र उत्तम है। 
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यही इंसान का कैरेक्टर है, किरदार है। उसकी न्यायप्रियता, कर्तव्यनिष्ठा, बहादुरी, स्पस्टवादिता, सत्य के प्रति आग्रह उसके किरदार को ऊंचा बनाते है। 

या इसका विपरीत कृत्य कर, व्यक्ति समाज का एक नीच किरदार माना जाता है। समाज, साहित्य, निबंध, फ़िल्म हर विधा में कैरेक्टर इसी तरह से बनाया जाता है। 
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पर जब हिंदी प्रदेश के लोग चरित्र शब्द का उपयोग करते है, वह इंसान की कमर के इर्द गिर्द यौनांगों लिपटा पाया जाता है। 

जी हां-चरित्र याने शारीरिक सम्बंध, स्त्री पुरूष का यौन विमर्श। देह को अनावृत देखने की कुचेष्टा। 

यह निस्संदेह उस देश मे होता है, जो गूगल पर सबसे ज्यादा पोर्न खोजता है। दोस्तो को पोर्न शेयर करता है, और बाकियों को भगवान की तस्वीर।

चैट बॉक्स में घुसकर औरतों को अश्लील मैसेज करता है, और व्हाट्सप पर सेक्स फिशिंग का शिकार होता है। 
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गांधी, नेहरू, इन्दिरा, अटल के यौन व्यवहार की अपुष्ट खबरें चटकारे लेकर पढ़ने वाले, घटिया मीम शेयर करने वाले, हलाला, बकरी, मुल्ली के साथ तमाम शब्दावली शेयर करने वाले.. 

दिन रात माचो, बैचों का जाप करने वाले, चाटने, चूसने, मारने जैसी शब्दावली से ओत प्रोत पोर्न फ्रीक, यौन कुंठित लोग आज दीपिका की बातों में मजा और उसका चरित्र ढूंढ रहे है। 
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और मेरे मस्तिष्क में यह तस्वीर फ्रीज है। 

जब रेजीम, और उसके पालित गुंडे एक यूनिवर्सिटी में छात्रों को पीट रहे थे, सबक सिखा रहे थे, सड़को पर पटक ओर डंडे मारे जा रहे थे। 

जब सदी के महानायक, क्रिकेट के भगवान, गीतकार, नचनिये, भांड अपनी दुम दबाए बिलो में घुसे थे, जब बड़े बड़े पुरोधा दिल्ली पुलिस लट्ठ बजाओ के शोर में कोरस गा रहे थे।

जब न्यायालय, न्यायाधीश, महिला आयोग, महिला मंत्री, सांसद मुंह मे दही जमाये अत्याचार का नंगा नाच देख रहे थे.. 

उस दिन दीपिका पादुकोण जेएनयू में जाकर खड़ी हुई। 
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एक मजबूत रीढ़ की हड्डी वाली महिला, भाँडो के नरम लिहाफ से बाहर निकली, अपने कनविक्शन को जाहिर किया। अपना कॅरियर, पैसा, कंफर्ट, पॉपुलरटी को दांव पर लगा दिया। 

तस्वीर देखिए, उसकी आँखों मे दृढ़ता, चेहरे पर कम्पाशन है। वो कन्नगी, लक्ष्मीबाई और दुर्गावती की परम्परा की लड़की है। इस क्षण में वह दुनिया मे  सबसे ज्यादा खूबसूरत है। 

सबसे ज्यादा चरित्रवान है। दरअसल पिछले दशक में हिंदुस्तान ने उससे अधिक खूबसूरत महिला को जन्म नही दिया। 
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सोचिये, और अपनी बेटियां दीपिका जैसी बनने की दुआ कीजिए। सच यह है कि जिस दिन इस देश मे 70 करोड़ दीपिका होंगी, उस दिन यह देश.. 

विश्व का सबसे चरित्रवान देश होगा। 
❤️

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