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Showing posts from November, 2023

J.N.U me दीपिका की कुछ तस्वीरें और कुछ मीम..

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ये जेएनयू में खड़ी दीपिका की तस्वीर है..  कुछ मीम्स वाइरल हो रहे हैं। किसी इंटरव्यू में निजी जीवन पर उसने कुछ कहा है, जिसका आनंद लिया जा रहा है।  ●● अग्रेंजी में शब्द होता है - कैरेक्टर उर्दू में किरदार, हिंदी में चरित्र चित्रण कहते है। जिन्होंने हिंदी थोड़ी बहुत पढ़ी है, यह सवाल भी पढ़ा होगा-  अलगू चौधरी का चरित्र चित्रण कीजिए। दीर्घ उत्तरीय प्रश्न होता था, तो 5 या दस नम्बर का सवाल होता।  इसका उत्तर में,आपको विचार करना होता मुंशी प्रेमचंद की मशहूर कहानी "पंच परमेश्वर" में पंच की कुर्सी पर बैठकर अलगू क्या फैसला देता है?  क्या वह जुम्मन शेख से निजी दुश्मनी, दोस्ती से प्रभावित होकर फैसला देता है। या वो अपने गुरुतर सामाजिक दायित्व, अपने पंच परमेश्वर की कुर्सी की लाज रखता है? यह प्रश्न निश्चय ही अलगू चौधरी के यौन व्यवहार, उसके सम्बधों की निजी विवेचना नही मांगता।  कहानी में अलगू अपनी जिम्मेदारी को महसूस कर न्याय करता है। उचित फैसला लेता है। हम लिखते है कि उसका चरित्र उत्तम है।  ●● यही इंसान का कैरेक्टर है, किरदार है। उसकी न्यायप्रियता, कर्तव्यनि...

15 साल के एक लड़के की कहानी पहले मैच की.. आज लोग उसे मस्टार ब्लास्टर कहते हैं..

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15 साल के सचिन की नाक से बाउंसर लगने के बाद खून बह रहा था, फिर भी उन्होंने इमरान खान का डटकर सामना किया। भारतीय टीम 1989-90 में पाकिस्तान के दौरे पर गई थी। वहां टीम इंडिया को 4 टेस्ट मैच और 4 वनडे मैच की सीरीज खेलनी थी। इसी दौरे पर सचिन तेंदुलकर ने भारत के लिए डेब्यू किया था। जब भारतीय टीम टेस्ट मैच खेलने सियालकोट पहुंची, तब विकेट पर एक से डेढ़ इंच घास छोड़ी गई थी। पाकिस्तानी कप्तान इमरान खान ने साफ कह दिया था कि अगर पिच की घास कटी तो गर्दन काट दी जाएगी। हमें हिंदुस्तानियों को किसी भी हाल में हराना है। इमरान खान एक अच्छे खिलाड़ी तो जरूर थे, लेकिन बड़बोले भी थे। वह अक्सर भारत के खिलाफ बयानबाजी करते थे। उस दौर में इमरान खान कहा करते थे कि कश्मीर का फैसला क्रिकेट के मैदान पर हो जाए। दरअसल उन्हें पाकिस्तान की तेज गेंदबाजी पर काफी घमंड था। उन्हें लगता था कि किसी भी विकेट पर हम भारतीय बल्लेबाजी को तहस-नहस करने की क्षमता रखते हैं। नवजोत सिंह सिद्धू ने बताया कि सियालकोट टेस्ट से पहले सचिन का बल्ला नहीं चला था। पाकिस्तान में हर तरफ कहा जा रहा था कि भेड़िए के सामने बच्चे को छोड़ दिया...

Sachin se suru hua or kholi pe khatam

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सचिन से शुरू हुआ एक शाप विराट कोहली के पीछे पीछे आया था। कितना डरते थे हम लोग, बैटिंग में साढ़े तीन सौ भी बन जाए तो डर लगता था कि अपने गेंदबाज मैच लड़ा न दे कही। कितने ऐसे मौके आए जब गुना गणित का मामला था, चेज करना हो तो भरोसा रहता था, और डिफेंड करना हो तो जान हलक में रहती थी। यही विराट कोहली मैदान पर रोते हुए निकला था क्युकी हमारे गेंदबाज तय सीमा में सामने वाले को रोक नहीं पाए थे। और आज हमारा पेस अटैक ऐसा है कि दुनिया के किसी भी बल्लेबाजी यूनिट को सिंगल के लिए भी हाथ पाव जोड़ने पड़ जा रहे है। ज्यादा नही कुछ साल पहले की ही बात है, हम अपनी गेंदबाजी से उम्मीद ही नही करते थे कुछ भी। ऐसा भी हाल था एक वक्त की गेंदबाज ऑफ साइड पर फील्ड सेट करके ऑन साइड के बाहर गेंद फेंक देते थे। हम कितने नॉकआउट हारे,कितने फाइनल हमारे हाथो से फिसल गए सिर्फ इसलिए क्युकी उस एक मैच में हमारे बल्लेबाज लीग वाली परफॉर्मेंस दोहरा नही पाए। हम कोसते थे अपने बैट्समैन को, पर हकीकत तो यही थी कि हर मैच में तो नही चल सकता न कोई। पर आज देखकर बहुत सुकून और इत्मीनान महसूस होता है कि हमारे पास दुनिया का सबसे बेहतरीन...