1*टीम इंडिया इस मुक़ाबले को 8 run se jita 2*ठाकुर ने 4 विकेट लिए ठाकुर में शानदार बोलिंग करते हुए इंग्लैंड के चार बल्लेबाज़ोंं को पावेलियन बेज और बुनेश्वर कुमार ने 3 बल्लेबाज को आउट / एंड नटराजन ने 1 बैट्समैन को out kiya 3 *बल्लेबााजी करते हुए ऋषभ पंत ने भारत की तरफ से सबसे ज्यादा 78run बनायेेेेेेेेे ा ान एंडएंं एंड shikhar neबनाये 67 run हार्दिक ने बनाये 64run
15 साल के सचिन की नाक से बाउंसर लगने के बाद खून बह रहा था, फिर भी उन्होंने इमरान खान का डटकर सामना किया। भारतीय टीम 1989-90 में पाकिस्तान के दौरे पर गई थी। वहां टीम इंडिया को 4 टेस्ट मैच और 4 वनडे मैच की सीरीज खेलनी थी। इसी दौरे पर सचिन तेंदुलकर ने भारत के लिए डेब्यू किया था। जब भारतीय टीम टेस्ट मैच खेलने सियालकोट पहुंची, तब विकेट पर एक से डेढ़ इंच घास छोड़ी गई थी। पाकिस्तानी कप्तान इमरान खान ने साफ कह दिया था कि अगर पिच की घास कटी तो गर्दन काट दी जाएगी। हमें हिंदुस्तानियों को किसी भी हाल में हराना है। इमरान खान एक अच्छे खिलाड़ी तो जरूर थे, लेकिन बड़बोले भी थे। वह अक्सर भारत के खिलाफ बयानबाजी करते थे। उस दौर में इमरान खान कहा करते थे कि कश्मीर का फैसला क्रिकेट के मैदान पर हो जाए। दरअसल उन्हें पाकिस्तान की तेज गेंदबाजी पर काफी घमंड था। उन्हें लगता था कि किसी भी विकेट पर हम भारतीय बल्लेबाजी को तहस-नहस करने की क्षमता रखते हैं। नवजोत सिंह सिद्धू ने बताया कि सियालकोट टेस्ट से पहले सचिन का बल्ला नहीं चला था। पाकिस्तान में हर तरफ कहा जा रहा था कि भेड़िए के सामने बच्चे को छोड़ दिया...
सचिन से शुरू हुआ एक शाप विराट कोहली के पीछे पीछे आया था। कितना डरते थे हम लोग, बैटिंग में साढ़े तीन सौ भी बन जाए तो डर लगता था कि अपने गेंदबाज मैच लड़ा न दे कही। कितने ऐसे मौके आए जब गुना गणित का मामला था, चेज करना हो तो भरोसा रहता था, और डिफेंड करना हो तो जान हलक में रहती थी। यही विराट कोहली मैदान पर रोते हुए निकला था क्युकी हमारे गेंदबाज तय सीमा में सामने वाले को रोक नहीं पाए थे। और आज हमारा पेस अटैक ऐसा है कि दुनिया के किसी भी बल्लेबाजी यूनिट को सिंगल के लिए भी हाथ पाव जोड़ने पड़ जा रहे है। ज्यादा नही कुछ साल पहले की ही बात है, हम अपनी गेंदबाजी से उम्मीद ही नही करते थे कुछ भी। ऐसा भी हाल था एक वक्त की गेंदबाज ऑफ साइड पर फील्ड सेट करके ऑन साइड के बाहर गेंद फेंक देते थे। हम कितने नॉकआउट हारे,कितने फाइनल हमारे हाथो से फिसल गए सिर्फ इसलिए क्युकी उस एक मैच में हमारे बल्लेबाज लीग वाली परफॉर्मेंस दोहरा नही पाए। हम कोसते थे अपने बैट्समैन को, पर हकीकत तो यही थी कि हर मैच में तो नही चल सकता न कोई। पर आज देखकर बहुत सुकून और इत्मीनान महसूस होता है कि हमारे पास दुनिया का सबसे बेहतरीन...
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